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गीतांजलि श्री की 'Tomb of Sand' ने जीता 2022 का अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार

लेखिका गीतांजलि श्री (Geetanjali Shree) को साल 2022 का अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज (International Booker Prize) दिया गया है. उनके उपन्यास 'Tomb of Sand' के लिए उन्हें प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार मिला है.

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geetanjali shree tomb of sand wins international booker prize 2022
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Published : May 27, 2022, 8:13 AM IST

Updated : May 27, 2022, 8:30 AM IST

लखनऊ: लेखिका गीतांजलि श्री (Geetanjali Shree) को साल 2022 का अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज (International Booker Prize) दिया गया है. उनके उपन्यास 'Tomb of Sand' के लिए उन्हें प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. लेखिका गीतांजलि श्री ने कहा कि मैंने कभी बुकर का सपना नहीं देखा था, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं ऐसा कर सकती हूं. मैं खुश और सम्मानित महसूस कर रही हूं. लेखिका गीतांजलि श्री का अनुवादित हिंदी उपन्यास, 'टॉम्ब ऑफ सैंड', प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार 2022 से सम्मानित होने वाली भारतीय भाषा में लिखी जाने वाली पहली पुस्तक बन गई है.

1957 में मैनपुरी में जन्मीं गीतांजलि श्री का बचपन उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों में बीता था. यहां उनके पिता एक सिविल सेवक के रूप में तैनात थे. उन्होंने अपनी शिक्षा स्थानीय अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में हासिल की थी. उत्तर प्रदेश में पली-बढ़ी गीतांजलि श्री को हिंदी से गहरा लगाव है.

‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार के लिए जब ‘शॉर्टलिस्ट’ किया गया तभी ये हिंदी भाषा की पहली कृति बन गया. अब 2022 का बुकर प्राइज भी इसको मिला है. गीतांजलि श्री की यह बुक मूल रूप से हिंदी में ‘रेत समाधि’ के नाम से प्रकाशित हुई थी. इसका अंग्रेजी अनुवाद ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ डेजी रॉकवेल ने किया है और जूरी के सदस्यों ने इसे शानदार बताया.

जब 'टॉम्ब ऑफ सैंड' का सेलेक्शन बुकर के लिए किया गया था, तो गीतांजलि श्री ने कहा था कि यह बहुत ही खास तरह की मान्यता है. जब कोई काम दूर बैठे अज्ञात लोगों को आकर्षित करता है. यही सच्चा समर्थन है. काम अच्छा होना चाहिए, अनुवाद बेहतरीन होना चाहिए. डेजी और मेरे लिए यह बहुत अच्छा पल है. अब उनके उपन्यास ने 2022 का बुकर प्राइज अपने नाम कर लिया है.

ये भी पढ़ें- शिवपाल यादव ने अखिलेश पर फिर कसा तंज, सीएम योगी को बताया मेहनती और ईमानदार?

50,000 पाउंड के साहित्यिक पुरस्कार के लिए पांच अन्य उपन्यासों से इसका कंपटीशन था, जिसमें 'टॉम्ब ऑफ सैंड' ने बाजी मार ली. पुरस्कार की राशि लेखिका और ट्रांसलेटर के बीच बांटी की जाएगी. लंदन पुस्तक मेले में घोषित अन्य शॉर्टलिस्ट किताबों में बोरा चुंग की ‘कर्स्ड बनी’ शामिल थी, जिसे कोरियाई से एंटोन हूर ने अनुवाद किया था. इसके अलावा जॉन फॉसे की ‘ए न्यू नेम: सेप्टोलॉजी VI-VII’ भी इस दौड़ में थी जिसे नार्वेई भाषा से डेमियन सियर्स ने अनुवाद किया था.

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लखनऊ: लेखिका गीतांजलि श्री (Geetanjali Shree) को साल 2022 का अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज (International Booker Prize) दिया गया है. उनके उपन्यास 'Tomb of Sand' के लिए उन्हें प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. लेखिका गीतांजलि श्री ने कहा कि मैंने कभी बुकर का सपना नहीं देखा था, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं ऐसा कर सकती हूं. मैं खुश और सम्मानित महसूस कर रही हूं. लेखिका गीतांजलि श्री का अनुवादित हिंदी उपन्यास, 'टॉम्ब ऑफ सैंड', प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार 2022 से सम्मानित होने वाली भारतीय भाषा में लिखी जाने वाली पहली पुस्तक बन गई है.

1957 में मैनपुरी में जन्मीं गीतांजलि श्री का बचपन उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों में बीता था. यहां उनके पिता एक सिविल सेवक के रूप में तैनात थे. उन्होंने अपनी शिक्षा स्थानीय अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में हासिल की थी. उत्तर प्रदेश में पली-बढ़ी गीतांजलि श्री को हिंदी से गहरा लगाव है.

‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार के लिए जब ‘शॉर्टलिस्ट’ किया गया तभी ये हिंदी भाषा की पहली कृति बन गया. अब 2022 का बुकर प्राइज भी इसको मिला है. गीतांजलि श्री की यह बुक मूल रूप से हिंदी में ‘रेत समाधि’ के नाम से प्रकाशित हुई थी. इसका अंग्रेजी अनुवाद ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ डेजी रॉकवेल ने किया है और जूरी के सदस्यों ने इसे शानदार बताया.

जब 'टॉम्ब ऑफ सैंड' का सेलेक्शन बुकर के लिए किया गया था, तो गीतांजलि श्री ने कहा था कि यह बहुत ही खास तरह की मान्यता है. जब कोई काम दूर बैठे अज्ञात लोगों को आकर्षित करता है. यही सच्चा समर्थन है. काम अच्छा होना चाहिए, अनुवाद बेहतरीन होना चाहिए. डेजी और मेरे लिए यह बहुत अच्छा पल है. अब उनके उपन्यास ने 2022 का बुकर प्राइज अपने नाम कर लिया है.

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50,000 पाउंड के साहित्यिक पुरस्कार के लिए पांच अन्य उपन्यासों से इसका कंपटीशन था, जिसमें 'टॉम्ब ऑफ सैंड' ने बाजी मार ली. पुरस्कार की राशि लेखिका और ट्रांसलेटर के बीच बांटी की जाएगी. लंदन पुस्तक मेले में घोषित अन्य शॉर्टलिस्ट किताबों में बोरा चुंग की ‘कर्स्ड बनी’ शामिल थी, जिसे कोरियाई से एंटोन हूर ने अनुवाद किया था. इसके अलावा जॉन फॉसे की ‘ए न्यू नेम: सेप्टोलॉजी VI-VII’ भी इस दौड़ में थी जिसे नार्वेई भाषा से डेमियन सियर्स ने अनुवाद किया था.

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Last Updated : May 27, 2022, 8:30 AM IST
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